दिवस विशेष


नववर्ष पर महान कवियों के द्वारा रचित कुछ सकारात्मक संदेश देते पंक्तियां -

करके विधिवाद न खेद करो
निज लक्ष्य निरंतर भेद करो।
बनता बस उद्यम ही विधि है
मिलती जिससे सुख की निधि है
समझो धिक निष्क्रिय जीवन को
नर हो न निराश करो मन को।
             -- मैथिलीशरण गुप्त

आज करना है जो
करते उसे आज ही
सोचते कहते हैं जो
कर दिखते वही
मानते जो भी,
सुनते हैं सदा सबकी कही
जो मदद करते हैं
अपनी जग में आप ही
भूलकर दूसरों का मुंह
कभी तकते नहीं
कौन सी गांठ जिसे
खोल वे सकते नहीं।
          -- अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध

औरों को हंसते देखो मनु
हंसो और सुख पाओ।
अपने सुख को विस्तृत कर लो
जग को सुखी बनाओ।
              -- जयशंकर प्रसाद, कामायनी में

"नववर्ष की अशेष मंगलकामनाएं"
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नववर्ष विशेष 2016 : नववर्ष स्वागत के अनोखे अंदाज
                             संपूर्ण विश्व में नववर्ष हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। हर देश में नये साल की नई शुरुआत अपने-अपने रीति-रिवाजों और विशेष अंदाजों में की जाती है।
                            आइए जानें विश्व के विभिन्न देशों में नववर्ष का पहला दिन किस तरह मनाया जाता है।
जापान - यहां नववर्ष उत्सव फरवरी में मनाया जाता है। इस सुअवसर पर जापानी लोग घास, नारंगी तथा मछलियों के बन्दनवार बनाकर घर के मुख्य द्वार पर सजाते हैं इसे जापानी भाषा में शिवनावा कहते हैं। आने वाले वर्ष में समस्याओं से बचने के लिए 108 बार घंटा बजाया जाता है। आखिरी घंटा रात 12 बजे बजता है और उपस्थित लोग ठहाके लगाते हैं।
कोलंबिया - कोलम्बियाई शहरों में नववर्ष पर ' मि. ओल्ड ईयर' को जलाने की परम्परा है। 'मि. ओल्ड ईयर' बनाने के लिए घास-पूस और कागज भर कर एक बड़ा सा पुतला बनाया जाता है और फिर इसे सभी परिजनों के साथ मिलाकर जलाया जाता है।  इसमें उन चीजों को भी रख दिया जाता है, जिनसे बुरी यादें जुड़ी हों और जिनकी जरूरत नहीं रह गई हो।
ब्राजील- ब्राजील में नववर्ष की बेला पर अधिकांश ब्राजीलियन सफेद कपड़े पहनते हैं और समुद्र तट पर जाकर रात बारह बजे 7 बार डुबकी लगाते हैं। साथ में एक मनोकामना बोलते हुए समुद्र में फूल फेंकते हैं।
स्पेन - स्पेन में बीते वर्ष ही वहां की प्रत्येक नागरिक गिनकर 12 बड़े अंगूर तो जरुर ही निगलता है। उनकी मान्यता है कि इससे पूरे वर्ष दुःख-दर्द उनसे दूर रहता है।
वेनेजुएला - यहाँ के लोग नववर्ष के पहले दिन सौभाग्य की प्राप्ति के लिए पीले रंग के अधोवस्त्र पहनते हैं। जो लोग नये साल में घूमने के इच्छुक होते हैं, वे एक नये सूटकेस में कपड़े रखकर घर में ही चक्कर लगाते हैं। मान्यता है कि यदि वे पहले दिन घूमेंगे तो उनकी बाहर घूमने जाने की मनोकामना पूरी हो जाएगी।

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वसंत ऋतु विशेष (24 जनवरी 2015) : सुमित्रानंदन पंत की वसंत पर कविता 

फिर वसंत की आत्मा आई,
मिटे प्रतीक्षा के दुर्वह क्षण,
अभिवादन करता भू का मन !
दीप्त दिशाओं के वातायन,
प्रीति सांस-सा मलय समीरण,
चंचल नील, नवल भू यौवन,
फिर वसंत की आत्मा आई,
आम्र मौर में गूंथ स्वर्ण कण,
किंशुक को कर ज्वाल वसन तन !
देख चुका मन कितने पतझर,
ग्रीष्म शरद, हिम पावस सुंदर,
ऋतुओं की ऋतु यह कुसुमाकर,
फिर वसंत की आत्मा आई,
विरह मिलन के खुले प्रीति व्रण,
स्वप्नों से शोभा प्ररोह मन !
सब युग सब ऋतु थीं आयोजन,
तुम आओगी वे थीं साधन,
तुम्हें भूल कटते ही कब क्षण?
फिर वसंत की आत्मा आई,
देव, हुआ फिर नवल युगागम,
स्वर्ग धरा का सफल समागम !

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नववर्ष विशेष 2015 -

हैप्पी न्यू ईयर 2015 

                         दोस्तों, नव वर्ष स्वागत के साथ आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।
                         यूं तो धन-दौलत और ज्ञान के मामले प्रकृति ने सबको अलग-अलग तरीके से सौगात दी है, लेकिन समय के मामले में यह सौगात सबको बराबर मिली है। हम सबको 365 दिन और हर दिन के 24 घंटे एक समान मात्रा में मिली हुई है। फिर ऐसा क्यों होता है कि कुछ व्यक्ति इसी समय में बहुत कुछ हासिल कर लेते हैं और कुछ समयाभाव का रोना रोकर हाथ पर हाथ धरे बैठकर यह अमूल्य समय यूं ही गंवा देते हैं।
                        असल बात यह है कि आलसी व्यक्ति बिना समय प्रबंधन के किसी कार्य की शुरुआत करते हैं उनके हाथ सिर्फ असफलता लगती है और फिर दोष समय को या दूसरों को देते हैं। लेकिन जो व्यक्ति समय की कीमत जानता है वह समय को रूपये-पैसों की तरह कमाता है, बचाता है और उसका सदुपयोग करता है। हर एक घड़ी को व्यर्थ गवाएं समय प्रबंधन की सहायता से हमेशा सफल होते हैं।
                            तो मित्रों नववर्ष के शुभागमन के साथ समय के मामले में सचेत हो जाइये। अपने हर कार्य की रुपरेखा बनाइए। समय प्रबंधन के हिसाब से अपनी योजना बनाएं। इससे न तो आलस्यपन आएगा न ही समय व्यर्थ जाएगा। जो समय बच जाए उसमें रचनात्मक गतिविधियों को अंजाम दें। इस समय बागवानी,संगीत,रचना लेखन,साहित्य अध्ययन,प्रकृति की समीपता का आनंद उठाया जा सकता है।
                              याद रखें समय ही संपदा है। यदि आप समय को महत्व देंगे तो समय भी आपको महत्व देगा। समय का सही नियोजन करें। प्राथमिकता के आधार पर कार्य करें।
                              एक बार फिर नववर्ष की अशेष मंगलकामनाएं। नववर्ष आप सबके जीवन में सुख-शांति-समृद्धि लेकर आये। 

" HAPPY NEW YEAR 2015 "

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नववर्ष का स्वागत " हरिवंश राय बच्चन जी" के इस गीत के साथ -

जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गये फिर कहां मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई...

जीवन में वह था एक कुसुम
थे उस पर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुबन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियां
मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ
जो मुरझाईं फिर कहां खिलीं
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुबन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई...

जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आंगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठते हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई...

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शताब्दी अनुसार मकर संक्रांति मनाए जाने का क्रम -
16 व 17 वीं शताब्दी में 9 व 10 जनवरी को।
17 व 18 वीं शताब्दी में 11 व 12 जनवरी को।
18 व 19 वीं शताब्दी में 13 व 14 जनवरी को।
19 व 20 वीं शताब्दी में 14 व 15 जनवरी को।
21 व 22 वीं शताब्दी में 14,15 और 16 जनवरी तक मनाई जाने लगेगी।

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