नववर्ष पर महान कवियों के द्वारा रचित कुछ सकारात्मक संदेश देते पंक्तियां -
करके विधिवाद न खेद करो
निज लक्ष्य निरंतर भेद करो।
बनता बस उद्यम ही विधि है
मिलती जिससे सुख की निधि है
समझो धिक निष्क्रिय जीवन को
नर हो न निराश करो मन को।
-- मैथिलीशरण गुप्त
निज लक्ष्य निरंतर भेद करो।
बनता बस उद्यम ही विधि है
मिलती जिससे सुख की निधि है
समझो धिक निष्क्रिय जीवन को
नर हो न निराश करो मन को।
-- मैथिलीशरण गुप्त
आज करना है जो
करते उसे आज ही
सोचते कहते हैं जो
कर दिखते वही
मानते जो भी,
सुनते हैं सदा सबकी कही
जो मदद करते हैं
अपनी जग में आप ही
भूलकर दूसरों का मुंह
कभी तकते नहीं
कौन सी गांठ जिसे
खोल वे सकते नहीं।
-- अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध
करते उसे आज ही
सोचते कहते हैं जो
कर दिखते वही
मानते जो भी,
सुनते हैं सदा सबकी कही
जो मदद करते हैं
अपनी जग में आप ही
भूलकर दूसरों का मुंह
कभी तकते नहीं
कौन सी गांठ जिसे
खोल वे सकते नहीं।
-- अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध
औरों को हंसते देखो मनु
हंसो और सुख पाओ।
अपने सुख को विस्तृत कर लो
जग को सुखी बनाओ।
-- जयशंकर प्रसाद, कामायनी में
हंसो और सुख पाओ।
अपने सुख को विस्तृत कर लो
जग को सुखी बनाओ।
-- जयशंकर प्रसाद, कामायनी में
"नववर्ष की अशेष मंगलकामनाएं"